रांची
झारखंड के पारा शिक्षकों से महागठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन के द्वारा गत विधानसभा चुनाव 2019 के दौरान यह वादा किया गया था कि सरकार बनने के 3 महीने के अंदर झारखंड के पारा शिक्षकों को समान काम का समान वेतन दिया जाएग। सरकार बनने के 5 साल बाद भी हेमंत सोरेन के द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया। इस दौरान झारखंड सरकार के विरुद्ध कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया गया।
20 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री आवास के घेराव के दौरान शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम के द्वारा 5 अगस्त को सहायक अध्यापकों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करने का लिखित पत्र देकर आश्वासन दिया गया। इसके बाद सहायक अध्यापकों ने आंदोलन को तत्काल स्थगित करने की घोषणा की थी। 5 अगस्त को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में गिरीडीह विधायक सुदीप्य कुमार सोनू बतौर मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि की उपस्थिति एवं विभागीय सचिव /परियोजना निदेशक के साथ वार्ता में शिक्षा मंत्री ने वेतनमान देने से साफ इनकार कर दिया। सरकार के द्वारा मात्र 1500 बढ़ोतरी की बात की गई, जिसे सहायक अध्यापकों ने नहीं माना। 14 अगस्त को वार्ता हुई।
इस वार्ता में शिक्षा मंत्री ने 1500 को बढ़ाकर 2000 मानदेय बढ़ाने की पेशकश की। इसे भी नहीं माना गया। पुनः 28 अगस्त को फाइनल वार्ता हुई। वार्ता में सहायक अध्यापकों को सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के तहत EPF (समान्य भविष्य निधि) से जोड़ते हुए 1950 रुपए सरकार के कोष से एवं 1000 तत्काल मानदेय बढ़ोतरी यानी कि कुल ₹3000 मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव दिया। सहायक अध्यापकों ने इसे स्वीकार कर लिया। लेकिन इसे कैबिनेट से पारित नहीं करवाया गया।
इसके विरोध में झारखंड के 62000 सहायक अध्यापक सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। इस क्रम में कल 15 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री/वित्त मंत्री/गिरीडीह विधायक का पुतला दहन होगा। 17 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन, मुख्यमंत्री आवास का घेराव करते हुए पुतला दहन किया जाएगा। आज की बैठक में ये निर्णय लिया गया। बैठक में विनोद तिवारी, विनोद बिहारी महतो, संजय दुबे, ऋषिकेश पाठक सिंटू सिंह, विकास कुमार चौधरी, सुमन कुमार, निरंजन दे, सुशील पांडे, बेलाल अहमद, भागवत तिवारी, शकील अहमद, वीरेंद्र राय आदि मौजूद थे।